दर्शनीय स्थल चित्रकूट धाम :- चित्रकूट धाम भारत के प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक हैं। चित्रकूट भारत के दो राज्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हैं । चित्रकूट को उत्तर प्रदेश में 6 मई 1997 को बाँदा जनपद से अलग करके छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से एक नया जिला बना दिया गया, जिसमे कर्वी और मऊ दो तहसीलें बनी थी । कुछ समय के बाद,छत्रपति शाहू जी महाराज नगर जिले को 4 सितम्बर 1998 में नाम बदल कर चित्रकूट रख दिया गया । यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैली उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित हैं । चित्रकूट का सबसे ज्यादा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद और मध्य प्रदेश के सतना जनपद में हैं । यह स्थान विविध सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत का प्रतीक है। यहाँ पर प्रत्येक अमावस्या में हर एक स्थान से लोगो लोग आते हैं । और सोमवती अमावस्या, मकर संक्राति और राम नवमी यहाँ के मुख्य समारोहों में से एक हैं ।
चित्रकूट एक प्राकृतिक स्थान हैं, यह मन्दाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ हैं , इस जगह पे श्री राम चंद्र ने वनवास के समय में सीता माता और लक्ष्मण के साथ साढ़े ग्यारह वर्ष तक अपना जीवन व्यतीत किया हैं। हिन्दू धर्म में आज भी आप चित्रकूट की महिमा, कथा और गाथा आपको सुनने को मिल जाएगी।
चित्रकूट शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर बना हुआ हैं चित्र का मतलब हैं अशोक से , कूट का मतलब हैं शिखर से, दोनों तो मिलाकर चित्रकूट बना हैं यहाँ अशोक के पेड़ बहुत ज्यादा मिलते हैं इसीलिए इसका नाम चित्रकूट रख दिया गया । यहाँ कर्वी, कामता , सीतापुर, खोही और नया गांव के आस पास का वन क्षेत्र को मिलाकर चित्रकूट वन क्षेत्र से प्रसिध्द हैं । यहाँ वन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ हैं । यह मन्दाकिनी नदी और पहाड़ी वनो से घिरा हुआ क्षेत्र हैं । मन्दाकिनी नदी में बहुत सारे घाट हैं जो अलग अलग नमो से प्रसिध्द हैं जहा पर भक्त जानो का हमेशा आना लगा ही रहा हैं ।

चित्रकूट एक ऐसा तीर्थ स्थान हैं , जिसका वर्णन कालिदास, वेद व्यास और तुलसीदास ने किया हैं , यहाँ पर एक बार ऋषि अत्रि और अनुसुइया ने ब्रम्हा, विंष्णु और महेश का ध्यान लगाया था तो तीनो भगवान बालक के रूप में उनके सामने प्रकट हो गए , आज भी चित्रकूट में इसका उल्लेख मिलता हैं ।
चित्रकूट के दर्शनीय स्थल –
- सती अनुसुइया आश्रम
- रामघाट
- गुप्त गोदावरी
- कामद गिरी पर्वत
- भारत मिलाप मंदिर
- लक्ष्मण चौकी
- सीता रसोई
- हनुमान धारा
- भरत कूप
- राम शैया
सती अनुसुइया आश्रम :- सती अनुसुइया आश्रम मन्दाकिनी नदी के किनारे हैं जहाँ पर सती अनुसुइया और महर्षि अत्रि के साथ दत्तात्रे, दुर्वासा और चन्द्रमा अन्य देव देवी की मूर्ति बनाई गयी यहीं ।
गुप्त गोदावरी :- गुप्त गोदावरी एक मुख्य स्थान हैं जहाँ पर दो गुफा है जिसमे से एक ऊँची और चौड़ी है जिसमे भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता की मूर्ति हैं गुफा के अंदर की एक छोटा सा तालाब भी हैं। दूसरी गुफा अंदर से लम्बी और संकरी हैं, इस गुफा में हमेशा शीतल पानी बहता रहता हैं । यहाँ पर पानी गुफा से निकल कर जल धारा कुंड में गिरता हैं और वही से पानी लुप्त हो जाता हैं । इसीलिए इसका नाम गुप्त गोदावरी रखा गया हैं ।
हुनमान धारा :- हुनमान धारा पहाड़ी के शिखर पर स्थिति हैं जहाँ पर आपको हनुमान भी की एक बड़ी सी प्रतिमा हैं , मूर्ति के सामने एक तालाब के झरने से पानी गिरता हैं , कहा जाता हैं की इसे भगवान राम ने लंका दहन के साथ हनुमान जी के आराम करने के लिए बनाई गयी थी । पहाड़ी के उच्च शिखर में सीता रसोई भी हैं ।
कामद गिरी पर्वत :- कामद गिरी पर्वत का नाम कमाता नाथ देव पर रखा गया हैं, जब भी कोई भक्त आता हैं तो उसे पर्वत की परीक्रमा और दर्शन मात्र से सफलता मिलती हैं , परिक्रमा के मार्ग में राम मुहल्ला, भारत मिलाप आदि मंदिर मिलते हैं और दक्षिण दिशा की तरफ लक्ष्मण जी का विशाल मंदिर बना हुआ हैं। जिस स्थान में भगवान राम और भरत मिले थे आज भी उस स्थान में पद चिन्ह बने हैं। यहाँ पर्वत चारो और से हरियाली से भरा हुआ हैं ।
चित्रकूट एक बहुत ही खूबसूरत जगह हैं जहाँ पर आपको चारो ओर हरियाली मिलेगी और मन्दाकिनी नदी के अनेक किनारे भी मिलेंगे साथ ही हर स्थान पे आपको श्री राम के गुणगान के चर्चे सुनने को मिलेगा यहाँ पर आपको सुख शांति के साथ साथ घूमने को भी मिलेगा ।