खजुराहो मंदिर का रोचक इतिहास Interesting History of Khajuraho Temple

Khajuraho Mandir खजुराहो, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित एक शहर हैं, यह मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बहुत खूबसूरत और पर्यटक स्थल हैं। खजुराहो के प्राचीन काल में कई नामों से जाना जाता था जैसे की – खजूरपुरा( खजुरी) और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता हैं। यह भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरो में कारण हमेशा चर्चा में बना रहता हैं। आज हम खजुराहो मंदिर का रोचक इतिहास के बारे में जानेगे। 

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खजुराहो में कई सारे प्राचीन काल में बने हिन्दू धर्म और जैन धर्म हैं। पुरे विश्व में खजुराहो मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरो के कारण बहुत ही प्रसिद्ध हैं। इन Khajuraho Mandir/मंदिरो का निर्माण चंदेल वंश ने 950-1050 ईस्वी के बीच किया गया था। भारतीय काल में हिन्दू और जैन मंदिरो को बनाने के 100 साल से अधिक का समय लगा हैं। ऐसा मानना हैं की हर एक चदेल शासक ने अपने जीवनकाल में एक मंदिर का निर्माण कराया हैं।

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चन्द्रवर्मन शासक, खजुराहो और चंदेल वंश का संस्थापक थे। चन्द्रवर्मन, भारत के मध्यकाल में  बुंदेलखंड में शासन करने वाले गुर्जर थे जो खुद को चंद्रवंशी मानते थे। चंदेल शासक में मंदिरो का निर्माण कराना शुरू किया। और मंदिरो का निर्माण हो जाने के बाद महोबा को अपनी राजधानी बना कर खजुराहो को आकर्षण का केंद्र बना दिया।

खजुराहो में 85 मंदिरो का निर्माण हुआ लेकिन आज 25 मंदिर ही बच पाए अन्य सभी मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिये गए। खजुराहो के इन मंदिरो का 3 हिस्सों में बांटा गया हैं- पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी। 

खजुराहो मंदिर की वास्तुकला 

खजुराहो को मंदिरो का निर्माण बलुआ, ग्रेनाइट और पत्थर से किया गया हैं और इसे नागर शैली की इमारतों के अनुसार बनाया गया हैं। चतुर्भुज मंदिर को छोड़कर बाकी सभी मंदिर सूर्य के सामने हैं। यहाँ पर नर और मादा देवताओ के शक्ति का प्रदर्शित किया गया हैं। इस पुरे परिसर को तीन जोन में विभाजित किया गया हैं ।

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पूर्वी समूह के अंतर्गत घंटाई मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, ब्रम्हा मंदिर, हनुमान मंदिर, जवारी और वामन मंदिर हैं।

पश्चिमी समूह के अंतर्गत कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चौसट योगिनी मंदिर, जगंदबी मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर , मंतागेश्वर मंदिर, वराह मंदिर और विश्वनाथ मंदिर हैं।

दक्षिणी समूह के अंतर्गत जातकारी मंदिर , चतुर्भुज मंदिर, दूल्हादेव और बीजमंडल मंदिर हैं।

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खजुराहो में प्रसिध्द मंदिर। Khajuraho Temple

चित्रगुप्त मंदिर

चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो/Khajuraho Mandir के सबसे प्रसिध्द मंदिरो में से एक हैं। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित किया गया हैं। इस मंदिर की दीवारों पर  भगवान विष्णु की 11 सिरों वाली मूर्ति  गर्भगृह के दक्षिण में विराजमान हैं। सूर्य देवता के सम्मान में पूर्व की तरफ सूर्य देव की 5 फुट ऊँची प्रतिमा सात घोड़ो वाले रथ को चलने हुए प्रतीत होता हैं जो बेहद ही आकर्षक दृश्य हैं।

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नंदी मंदिर

खजुराहो का नंदी मंदिर, विश्वनाथ मंदिर के मैदान में अंदर हैं। नंदी मंदिर नंदी बैल को समर्पित हैं।  शिव वाहक नंदी बैल की लम्बाई 2.20 मीटर हैं।यह भव्य मंदिर बारह स्तम्भों वाला खुला वर्गाकार मंदिर हैं। यहाँ पर अनेक प्रकार की मूर्ति बनी हुई हैं। जैसे की पत्र लिखने वाले, बच्चो की देखभाल करने वाली, संगीत करने वाली और कामुक मनोदशा में महिलाओ की मुर्तिया हैं।

खजुराहो आने के लिए आप वायु मार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग तीनो जगह से आ सकते हैं।  वायुमार्ग से आने पर आप खजुराहो हवाई अड्डा तक आएंगे। जो शहर से 6 KM दूर हैं। यह एक घरेलू हवाई अड्डा हैं जहा पर दिल्ली, वाराणसी से उड़ाने होती रहती हैं। रेलमार्ग से आने पर, खजुराहो रेलवे स्टेशन है लेकिन यह अन्य सभी शहरो से नहीं जुड़ा हैं। खजुराहो से 75 KM दूर महोबा रेलवे स्टेशन हैं जो भारत में अन्य बड़े शहरो से जोड़ता हैं। फिर वह खजुराहो जा सकते हैं। सड़क मार्ग से आने पर खजुराहो का सभी बड़े शहरो से आने जाने का रास्ता हैं यह रीवा से (180 KM), सतना से (116KM), महोबा से (70 KM), झाँसी से (230KM), इंदौर से (400KM) और यह NH 75 से जुड़ा हुआ हैं। जिसके कारण सड़क मार्ग से आने में आसानी होगी।

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